बिहार के ये डॉ. 65 सालो से मुफ्त में कर रहे है इलाज ,जानिये आज के व्यापारिक युग में कौन है ये महान व्यक्ति जो करते है सेवा

बिहार के ये डॉ  65 सालो से मुफ्त में कर रहे है इलाज ,जानिये आज के व्यापारिक युग में कौन है ये महान व्यक्ति जो करते है सेवा ,


बेहतर स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुविधाएँ हमारा मौलिक अधिकार है। एक समय था जब लोग डॉक्टरों को भगवान की तरह पूजते थे। पर आज के समय डॉक्टरी बस एक पेशा और व्यापार बन के रह गया है। आज जब कोई गरीब बीमार होता है तो उसे पता नहीं होता की वह ठीक हो पायेगा भी या नहीं। क्योंकि आज के डॉक्टरों की महँगी-महँगी फ़ीस और दवाओं का ख़र्च उठा पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। पर आज के इस युग में भी एक ऐसा डॉक्टर है जो पिछले 55 सालों से ग़रीब और असमर्थ मरीजों का मुफ़्त में इलाज़ करते हैं। 93 साल के डॉक्टर बीरेन वर्मा एक ऐसे ही शख्स हैं।

कौन हैं डॉक्टर बीरेन वर्मा

डॉक्टर बीरेन वर्मा बिहार के अररिया के कालीबाजार के निवासी हैं। अररिया जिले में डॉक्टर बीरेन बहुत जाना पहचाना नाम हैं। डॉक्टर बीरेन की उम्र अब 93 बर्ष की हो गई है। पिछले करीब 65 सालों से वह चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डॉक्टर वर्मा पिछले 55 वर्षों से मरीजों का मुफ्त में इलाज कर समाज में मिशाल पेश कर रहे हैं। आमतौर पर लोग निजी प्रैक्टीस कर रहे डॉक्टरों की फीस बढ़ोतरी से लोग परेशान हैं, वहीं 93 वर्षीय डॉ वर्मा का यह प्रयास सराहनीय है। इस लिए उनके जिले ले उनकी बहुत इज़्ज़त है।

हर रविवार करते हैं मुफ़्त इलाज़

डॉक्टर वर्मा पिछले 55 वर्षों से प्रत्येक रविवार को न केवल मरीजों का मुफ्त में इलाज करते हैं, बल्कि दवा भी मुफ्त उपलब्ध कराते हैं. कहा जाता है कि वीरेंद्र कुमार वर्मा कई परिवारों की चार पीढ़ियों तक की सेवा कर चुके हैं।
अररिया के डॉ. वर्मा ने चिकित्सा को कभी बिसिनेस नहीं समझा, बल्कि इसे जनसेवा मानते हैं। वे पिछले 55 वर्षो से प्रत्येक रविवार को डॉ़ वर्मा न केवल नि:शुल्क गरीब, लाचारों का इलाज करते हैं, बल्कि उन्हें मुफ्त में दवा भी उपलब्ध कराते हैं। अगर किसी कारणवश क्लीनिक बंद हुआ, तो उनका आवास भी ऐसे मरीजों के लिए 24 घंटे खुला रहता है।

कैसे मिली प्रेरणा

उन्होंने याद करते हुए आईएएनएस को बताया कि वर्ष 1962 में अररिया जिले में महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु का औराही हिंगना गांव कालाजार की चपेट में था। इस दौरान एक बच्चे को खो चुके एक दंपति ने उनके पास आकर कहा था कि पैसे के अभाव में एक बच्चे को खो चुके हैं। यह दूसरा बच्चा भी बीमार है। घर में बर्तन बेचकर आपकी फीस का इंतजाम किया है।


डॉ़ वर्मा कहते हैं, “मैंने उस बच्चे का नि:शुल्क इलाज किया और वह कुछ दिन में स्वस्थ हो गया। कुछ दिनों बाद उस दंपति ने आकर मेरा शुक्रिया अदा किया। उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि अब सप्ताह में एक दिन मरीजों का इलाज मुफ्त में करूंगा और वह सिलसिला आजतक चल रहा है।”

सैनिकों और भूकंप पीड़ितों की भी करते रहे हैं सेवा

वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग ले चुके डॉ़ वर्मा बताते हैं कि वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान पूर्वोतर राज्य के सैनिक इसी रास्ते दिल्ली आते-जाते थे। उस दौरान भी उन्होंने कटिहार में कैम्प लगाकर सैनिकों और नागरिकों को स्वैच्छिक सेवाएं दीं। इसके अलावा वर्ष 1964 में नेपाल में आए भूकंप के दौरान भी उन्होंने विराटनगर में कैम्प लगाकर लोगों को नि:शुल्क सेवाएं दीं। वर्ष 2008 में कोसी में आई प्रलयंकारी बाढ़ के दौरान भी उन्होंने पूरे उत्साह के साथ गरीबों के बीच अपनी सेवाएं दीं।

बिहार सरकार भी कर चुकी है सम्मानित

वर्ष 1961 में डॉ़ वर्मा को चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए बिहार सरकार ने सम्मानित भी किया था। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी में 16 वर्षो तक मानद सचिव रहे डॉ़ वर्मा गर्व से कहते हैं कि आज उनके पास ऐसे परिवार भी आते हैं, जिनकी चौथी पीढ़ी का वह इलाज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर रविवार को उनके पास करीब 250 से 300 मरीज पहुंचते हैं।

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