जनता का सवाल: करोड़ों की वसूली कब होगी… और किससे होगी?
समय खबर
दुर्गेश गुप्ता
शिवपुरी।
जिले में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जहाँ एक ओर आम उपभोक्ता का मामूली बकाया भी बर्दाश्त नहीं किया जाता और बिल जमा न करने पर तुरंत कनेक्शन काट दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों, प्रभावशाली लोगों, ठेकेदारों और बड़े रसूखदारों के लाखों–करोड़ों के बिजली बकाया होने के बावजूद विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कई बड़े उपभोक्ता—जिनमें राजनीतिक दबदबा रखने वाले लोग, दबंग, उद्योग संचालक और प्रभावशाली व्यापारिक घराने शामिल हैं—लंबे समय से भारी बकाया होने के बावजूद बिना रोक-टोक बिजली का उपयोग कर रहे हैं।
इनमें से कई उपभोक्ताओं पर लाखों रुपए से लेकर करोड़ों रुपए तक का बकाया दर्ज है, लेकिन विभाग की कार्रवाई लगभग ठप पड़ी हुई है।
आम जनता पर क्यों सख़्ती?
छोटे उपभोक्ताओं, किसानों और गरीब परिवारों को भुगतान में थोड़ी भी देरी होने पर
नोटिस
जुर्माना
और कनेक्शन काटने जैसी कठोर कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है।
वहीं दूसरी तरफ, बड़े बकायादारों को
बार–बार मोहलत
किस्तों का लाभ
और विभागीय ढील
मिलती रहती है।
इस असमान व्यवहार को लेकर आम नागरिकों में गहरी नाराज़गी है।
जनता का सवाल—“दोहरे मानदंड क्यों?”
शहरवासियों और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुलकर सवाल उठा रहे हैं:
क्या कानून सिर्फ गरीब और आम उपभोक्ता के लिए है?
बड़े बकायादारों पर कार्रवाई कब शुरू होगी?
करोड़ों की वसूली कौन करेगा… और कब करेगा?
राजनीतिक दबाव के चलते विभाग कार्रवाई से बच रहा है?
विभाग की चुप्पी और बढ़ते सवाल
कई सामाजिक संगठनों ने भी आरोप लगाया है कि विभाग बड़े उपभोक्ताओं पर कार्रवाई करने से कतराता है, जिससे राजस्व की भारी हानि हो रही है।
यदि करोड़ों की बकाया राशि की वसूली सही समय पर हो जाए तो विभाग की आर्थिक स्थिति और उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवाएँ दोनों सुधर सकती हैं।
लेकिन फिलहाल विभाग की चुप्पी और निष्क्रियता ने जनता में यह संदेश दे दिया है कि
“कमजोर पर सख़्ती… और रसूखदारों पर नरमी”—यही आज की व्यवस्था बन चुकी है।
