लोकायुक्त ने एडीएम कार्यालय के स्टेनो मोनू शर्मा को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा


जमीन रिकॉर्ड में नाम दुरुस्ती के लिए कुल 20 हजार रुपए की अवैध मांग कर रहा था कर्मचारी


शिवपुरी।

कलेक्ट्रेट परिसर में गुरुवार दोपहर लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई ने एक बार फिर प्रशासनिक तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया। एडीएम कार्यालय में पदस्थ स्टेनो मोनू शर्मा को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते मौके पर ही गिरफ्तार किया गया। कार्रवाई के दौरान कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

क्या है पूरा मामला?

फरियादी ध्यानेंद्र सिंह निवासी श्रीपुरचक ने अपने पिता मनमोहन सिंह की ग्राम बघोरिया (तहसील रन्नौद, कोलारस) स्थित 50 बीघा पैतृक भूमि के नाम-सुधार के लिए आवेदन किया था। राजस्व रिकॉर्ड में यह भूमि गलती से ज्ञान सिंह के नाम दर्ज हो गई थी।

नाम दुरुस्ती प्रक्रिया के दौरान जैसे ही फाइल तस्दीफ के लिए एडीएम कार्यालय पहुँची, स्टेनो मोनू शर्मा ने सही सत्यापन करने के बदले 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर दी।

फरियादी पहले ही दो किश्तों में 15 हजार रुपए (5 हजार + 10 हजार) चुका चुका था।

गुरुवार को अंतिम किश्त 5 हजार रुपए देने के लिए ध्यानेंद्र कार्यालय पहुँचा, लेकिन इस बार लोकायुक्त पुलिस पहले से जाल बिछाकर तैयार थी।

मोनू शर्मा द्वारा रकम हाथ में लेते ही टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

लोकायुक्त ने मौके से रिश्वत की राशि बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार किया और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।


कलेक्ट्रेट में यह लोकायुक्त की तीसरी बड़ी कार्रवाई है, जबकि एडीएम कार्यालय दूसरी बार भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा गया है। इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि शिवपुरी जिले में भ्रष्टाचार कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है।

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