भारत सरकार चिटफंड कंपनी सहारा इंडिया में जमा राशि का शीघ्र भुगतान कराए - एडवोकेट श्री रमेश मिश्रा



दीपावली के पूर्व भुगतान की उम्मीद नहीं, निवेशक हताश व निराश,

सहारा का घोटाला दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला

सहारा की धाक के चलते कई साल बीत जाने पर भी जांच एजेंसियों की जांच पूरी नही हो सकी है,कार्यवाही होना तो दूर है,

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शिवपुरी (मध्य प्रदेश)/ शिवपुरी के एडवोकेट श्री रमेश मिश्रा ने बताया है कि, ईद और दशहरा का त्योहार निकल गया, दीपावली का त्यौहार आ रहा है, सहारा इंडिया चिटफंड कंपनी के ठगी पीड़ित गरीब निवेशकों की हजारों, लाखों रुपए सहारा में जमा होने के बाद भी उनकी जरूरत पर भुगतान नही मिल रहा है, उनकी एक मात्र आशा सरकार से ही है कि, वह ही ठग और बेईमान चिटफंड कंपनी से उनकी जमा राशि का भुगतान करा सकती है, अत: सरकार से भुगतान दिलाने की मांग करी है,

सहारा इंडिया के वफादार ऐजेंट महाराज ने सहारा के गुणगान कर गरीब भोलेभाले निवेशकों के घर घर, दुकान दुकान जाकर अपनी मौखिक गारंटी देकर राशि जमा कराई,आज निवेशक अपनी जरूरत पर भुगतान चाहता है, आपने अपने कमीशन के लालच में जमाकर्ता को गुमराह किया, यह आज साबित हो रहा है, निवेशक समय पर भुगतान नहीं मिलने से दुखी और परेशान है / वो निराशा के भंवर में डूबे हुए हैं/

सहारा इंडिया ने सरकार से लायसेंस लेकर सैकड़ों विभिन्न कम्पनी बनाकर कई स्कीमों में अपने एजेंट और मैनेजर के माध्यम से गाव गरीब, किसान, मज़दूर,दुकानदार,कर्मचारी, आदि के घर घर, दुकान दुकान, पर जाकर राशि जमा कराई, कितनी राशि जमा कराई उसका अंदाजा लगा पाना संभव नहीं है, लेकिन निवेशक की मांग पर भुगतान करने के बजाय उसकी जमा राशि एक स्कीम से दूसरी स्कीमों में कन्वर्ट (परिवर्तित) करते रहे, उसकी जमा राशि का भुगतान नहीं किया,/ निवेशक के साथ ठगी,बेईमानी, और धोखाधडी करी, विश्वास देकर विश्वासघात किया है /

चिटफंड कंपनी सहारा इंडिया ने देश भर में कितने लोगों के साथ ठगी की, कितनी राशि की ठगी की, उसका अनुमान नही लगाया जा सकता है, जो कई लाख हजार करोड़ रुपए की हो सकती है /

चिटफंड कंपनी सहारा इंडिया का आर्थिक घोटाला दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला है/ देश के करोड़ो निवेशकों को उनकी अपनी जमा राशि का समयपर भुगतान नहीं कर, विश्वास भंग किया है / 

 चिटफंड कम्पनी सहारा इंडिया की बुनियाद ही गड़बड़झाले पर रखी गई थी, ऐजेंट व मैनेजर ने भोले भाले गरीब निवेशकों को लोकलुभावन स्कीम बताकर और ज्यादा ब्याज का प्रलोभन देकर उनकी राशि जमा कराई,/ जमा राशि का भुगतान नहीं कर, एक स्कीम से दूसरी स्कीमों में कन्वर्ट (परिवर्तित) करते कराते रहे,/ सहारा इंडिया के नियम विपरीत कार्यों पर उसके रसूख (धाक) के कारण कोई एजेंसी या उसके अधिकारी रोक लगाने का साहस नहीं जुटा पाते थे/

 भारत की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) भी 2012 में दिए अपने आदेश का पालन नहीं करा

सकी है, उसको ही सहारा ने भूल भुलैया में डाल दिया है,/सहारा किसी कार्यवाही को उलझाने, लटकाने, भटकाने व गुमराह करने में माहिर है /

 चिटफंड कम्पनी सहारा इंडिया का मूल धंधा तो कोई था नहीं, लोगों से निवेश करते कराते रहे, प्रारम्भ में कुछ लोगों को ब्याज का भुगतान कर, विश्वास हासिल करने में कामयाब रही,/ 

चिटफंड कंपनी सहारा इंडिया के नियम विपरीत कार्यों के कारण बाद में जब आरबीआई (रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा 2008 में जमा करने पर रोक लगाने, और 2015 में लायसेंस निरस्त करने के बाद लोगों से निवेश मिलना कम हो गया, ऐजेंट रोक लगाने, लायसेंस निरस्त होने की जानकारी निवेशकों से छिपाकर अपने कमीशन के लालच में निवेश करते कराते रहे, निवेशक जब अपनी जमा राशि का भुगतान मांग रहा है, तब एजेंट अपना मुंह छिपा रहे हैं, या भागे फिर रहे हैं,/

सहारा समूह की जमीनों को बता बता कर एजेंट जमाकर्ता को निवेश करने या अपनी राशि जमा रखने का विश्वास दिलाते थे, मध्यप्रदेश के पांच जिलों सागर, कटनी, जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर में गुपचुप तरीके से ओने पोने दामों में बेच दी गई है,/ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भोपाल ने एफआईआर दर्ज कर ली है, ईडी का भी इसमें प्रवेश हो सकता है/ मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य जिलों में भी सहारा समूह की जमीनों को गरीब निवेशकों की जमा राशि से खरीदा गया था, उसको गुपचुप तरीके से ओने पोने दामों में बेच दिया गया है, इस तरह ज़मीनों की विक्री में भी फर्जीवाड़ा किया गया है, विक्रय से प्राप्त राशि कहां गई, किसने प्राप्त की, बेचने वाले अधिकारी ने किसके अधिकार से बेची, या बिना किसी प्राधिकार के जमीन का विक्रय किया/

चिटफंड कम्पनी सहारा इंडिया की सरकारी जांच एजेंसियां कई साल बीत जाने के बाद भी अपनी जांच पूरी नही कर पाई है, कार्यवाही कब होगी, क्या होगी, भगवान जाने / 

जमाकर्ता आज अपने को ठगा महसूस कर रहा है, उसने विश्वास में आकर अपनी जीवनभर की कमाई जमा करी, भविष्य के सुनहरे सपने देखे, वो सब टूटते बिखरते जा रहे हैं, हर साल दीपावली आती है, हज़ारों, लाखों रुपए सहारा में जमा होने के बाद भी उसकी जेब खाली है, भुगतान नहीं मिलने से जमाकर्ता दुःखी है,  वे न तो अपने बच्चों को पड़ा पा रहे हैं, न शादी व्याह कर पा रहे हैं, मकान बनाना तो दूर की बात है, वो अपनी बीमारी का इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं/ कई जमाकर्ता भुगतान की आशा लिए मर गए हैं,/ जो जिंदा है वो निराशा के भंवर में डूबे हुए हैं, हताश व निराश है,/

सरकार ने निवेशकों के हित में कानून बनाकर कार्यवाही का विश्वास दिलाया है, केन्द्र व राज्य सरकार अपने अपने कानूनों के तहत कार्यवाही कर निवेशकों का सहारा से भुगतान दिलायेगी, ऐसी आशा है, नही तो भुगतान के बिना काहे की दिवाली / बिना भुगतान के जमाकर्ताओं की दिवाली काली ही रहेगी / 0

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