"बैंक उत्पीड़न से टूटी एकता शर्मा की चीख: प्रशासन से मांगी आत्महत्या की अनुमति"



"एकता शर्मा की व्यथा: बैंक उत्पीड़न से टूटी हिम्मत, पत्रकारों के सामने सुनाया दर्द"


शिवपुरी। शहर की सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षित महिला एकता शर्मा ने पत्रकारों के सामने अपनी आपबीती साझा करते हुए बैंक अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगी।

पत्रकारों के सवालों के बीच एकता ने खुलकर बताया कि कैसे बैंक से संबंधित काम के दौरान उन्हें बार-बार बेवजह दौड़ाया गया, कागजात में कमियाँ बताकर परेशान किया गया और अप्रत्यक्ष रूप से अवैध राशि की मांग की गई।

एकता शर्मा का कहना:

 “मैंने हर प्रक्रिया पूरी की, सभी दस्तावेज दिए, फिर भी जानबूझकर मेरा फाइल अटकाया गया। बार-बार बुलाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। मैंने उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”

उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारियाँ उन्होंने उठाईं, लेकिन बैंक के अधिकारियों ने उनका मनोबल तोड़ने का काम किया।

पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या उन्होंने पुलिस या जिला प्रशासन से शिकायत की है, तो उन्होंने बताया कि:

 “मैंने कलेक्टर, एसडीएम, और पुलिस अधिकारियों तक शिकायतें पहुंचाई हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है।”

मख्य बिंदु:

बैंक के अधिकारी कर रहे हैं मानसिक उत्पीड़न

सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप

राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आत्महत्या की अनुमति मांगी

न्याय न मिलने पर आत्महत्या की चेतावनी

“मैं आत्महत्या नहीं करना चाहती, लेकिन प्रशासन और बैंक मिलकर मुझे इस कगार पर ला खड़ा कर रहे हैं। मेरी बस यही मांग है कि मुझे न्याय मिले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।”

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