एसडीएम गुर्जर को हटाया बडे बेआबरू अंदाज में हुई विदाई, अरविंद बाजपेई बने नए एसडीएम



शिवपुरी। विवादों से घिरे और भ्रष्टाचार के आरोपों और अभद्र व्यवहार के लिए चर्चित शिवपुरी एसडीएम अतेंद्र सिंह गुर्जर को अंतत: कलेक्टर अनुग्रह पी ने हटा दिया है। उन्हें भोपाल के लिए रिलीव कर दिया गया है और उनके स्थान पर अरविंद बाजपेई को शिवपुरी एसडीएम बनाया गया है। श्री बाजपेई पहले करैरा के एसडीएम रह चुके हैं। हटाए गए एसडीएम गुर्जर को हटाने के लिए शिवपुरी के पत्रकारों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था और ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, पूर्व सांसद, संभाग के प्रभारी मंत्री और गृह मंत्री को भी सौंपी थी और सभी जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में पत्रकारों को समर्थन देते हुए कलेक्टर को एसडीएम गुर्जर को हटाने के लिए कहा था। वहीं दूसरी ओर एसडीएम गुर्जर की समर्थक लॉबी ने भी उन्हें पद पर बनाए रखने के लिए दबाव डाला था। लेकिन अंतत: आज जब शिवपुरी के पत्रकार कलेक्ट्रेट एसडीएम को हटाने के लिए अंतिम रूप से  अल्टीमेटम देने के लिए कलेक्टर के पास पहुंचे तो यहां एडीएम आरएस बालौदिया ने पत्रकारों को बताया कि एसडीएम गुर्जर को रिलीव कर दिया गया है और नया एसडीएम डिप्टी कलेक्टर अरविंद बाजपेई को बनाया गया है।
विवादास्पद एसडीएम लगभग 15 माह से शिवपुरी मेें जमे हुए थे और उन्हें कलेक्टर का विश्वासपात्र माना जाता था। इस भरोसे उन्होंने एक नहीं बल्कि अनेक बार अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया, सीमा से बाहर निकले। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे और आम जनता से तानाशाहीपूर्ण व्यवहार किया। इस कारण उनके हौंसले इतने बुलंद हो गए जिसके चलते 22 अप्रैल को उन्होंने शिवपुरी के तीन अधिमान्य पत्रकारों के साथ अपने निवास स्थान पर अभद्र व्यवहार किया। उन पर कोरोना फैलाने के झूठे आरोप लगाए और अपने अधीनस्थों से कहकर तीनों को धक्के मारकर बाहर निकाल देने का आदेश दिया। एसडीएम के इस तानाशाहीपूर्ण रवैये से पत्रकारों में रौष छा गया और पत्रकारों ने पहले जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एचपी वर्मा को 22 अप्रैल को ज्ञापन सौंपा और उनसे तुरंत विवादास्पद एसडीएम गुर्जर को पद से हटाने के लिए कहा। इसके बाद पत्रकारों ने 23 अप्रैल को कलेक्टर अनुग्रह पी को ज्ञापन सौंपा और उनको एसडीएम की विवादास्पद कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। जिसे कलेक्टर ने काफी गंभीरता से सुना और वह इस बात से सहमत हुई कि एसडीएम ने पत्रकारों के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया। कलेक्टर ने पत्रकारों से कहा कि वह शीघ्र ही इस संबंध में निर्णय लेंगी। लेकिन तात्कालिक रूप से इतनी जल्दी इसलिए निर्णय नहीं ले सकती क्योंकि उनके पास अधिकारियों की कमी है और कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप छाया हुआ है।  पत्रकारों ने उनसे समय सीमा बताने का आग्रह किया। लेकिन कलेक्टर ने असमर्थतता जाहिर की। परंतु कहा कि वह जितनी जल्दी हो सकेगा, उतनी जल्दी निर्णय लेंगी। पत्रकारों ने इस मामले मेें शिवपुरी विधायक और पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, सांसद केपी यादव, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर को भी पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, संभाग के प्रभारी मंत्री, कमिशनर आदि को भी भेजी गई। खास बात यह रही कि सभी जनप्रतिनिधियों ने माना कि पत्रकारों के साथ एसडीएम ने अभद्र व्यवहार किया है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में यशोधरा राजे सिंधिया  ने नाराजी व्यक्त करते हुए कलेक्टर अनुग्रह पी से तत्काल एसडीएम को रिलीव करने को कहा। लेकिन कलेक्टर ने व्यवस्था होने तक यशोधरा राजे से 48 घंटे का समय मांगा। सूत्र बताते हैं कि पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद केपी यादव ने भी कलेक्टर अनुग्रह पी से एसडीएम को हटाने के लिए कहा। भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने इस संबंध में कमिशनर से भी बातचीत की और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। श्री पाराशर ने पत्रकारों को यह भी आश्वासन दिया कि वह इस पूरी घटना की जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देंगे तथा ऐसे अभद्र व्यवहार करने वाले एसडीएम को शिवपुरी जैसे शांत जिले में नहीं रहने देंगे।  भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य धैर्यवर्धन शर्मा और सुरेंद्र शर्मा ने भी कलेक्टर से एसडीएम गुर्जर को हटाने के लिए कहा। लेकिन 48 घंटे के बाद भी कलेक्टर ने एसडीएम गुर्जर को नहीं हटाया। लेकिन वह पत्रकारों को आश्वासन अवश्य देती रहीं कि जैसे ही व्यवस्था होगी वह एसडीएम गुर्जर को रिलीव कर देंगी। इसके बाद पत्रकारों ने आज अपने साथियों की आवश्यक बैठक बुलाई जिसमें निर्णय लिया गया कि कलेक्टर को अंतिम रूप से आज फिर ज्ञापन सौंपा जाए और उन्हें अल्टीमेटम दिया जाए कि यदि आज शाम तक एसडीएम गुर्जर को रिलीव नहीं किया गया तो कल 28 अप्रैल मंगलवार से सभी पत्रकार शासकीय प्रेस नोटों का बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद सभी पत्रकार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां अधिकारियों के साथ कलेक्टर अनुग्रह पी की बैठक चल रही थी। कलेक्टर  ने ज्ञापन लेने के लिए किसी डिप्टी कलेक्टर को भेजा। लेकिन पत्रकारों  ने कहा कि वह कलेक्टर से बातचीत कर उन्हें अपनी चेतावनी से अवगत कराएंगे। तब तक वह मीटिंग समाप्त होने तक यहीं इंतजार करेंगे। इसके बाद एडीएम आरएस बालौदिया पत्रकारों के बीच पहुंचे और उन्होंने कलेक्टर अनुग्रह पी की बात पत्रकारों के समक्ष रखते हुए कहा कि एसडीएम गुर्जर को रिलीव कर दिया गया है और अरविंद बाजपेई को शिवपुरी एसडीएम बनाया गया है। इससे पत्रकारों में हर्ष छा गया और पत्रकारों  ने एक-दूसरे को इसके लिए बधाई दी। पत्रकारों के इस आंदोलन में मुख्य रूप से वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव, अशोक कोचेटा, उमेश भारद्वाज, अशोक अग्रवाल, ब्रजेश तोमर, अजय खैमरिया, रंजीत गुप्ता, डॉ. रामकुमार शिवहरे, धु्रव शर्मा, नरेंद्र शर्मा, रिंकू जैन, राजकुमार शर्मा, रोहित मिश्रा, विजय विंदास, लालू शर्मा, ललित मुदगल, सतेंद्र उपाध्याय मोंटू तोमर, वीरेंद्र चौधरी, अभय कोचेटा, मुकेश चौधरी, नेपाल सिंह बघेल, योगेंद्र जैन, ट्विंकल जोशी, केके दुबे, इस्लाम शाह, दीपक अग्रवाल, भूपेद्र शर्मा, राजवर्धन सिंह, बंटी धाकड़, सौरभ दुबे, शुभम गर्ग, गुड्डू खान, मनीष भारद्वाज, सुरेश कुशवाह, राजू यादव, कुलदीप गुप्ता,   दुर्गेश गुप्ता अशरफ, पवन भार्गव, उत्कर्ष भार्गव, जीतू रघुवंशी, जितेंद्र चौधरी, भूपेंद्र शर्मा, पवन भार्गव, अन्नु श्रीधर, नीरज रजक, धर्मेंद्र बाथम आदि पत्रकारगण उपस्थित रहे। 
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विवादास्पद एसडीएम गुर्जर के कारण हुई जिला प्रशासन की छवि धूमिल 
अपने 15 माह के कार्यकाल के पश्चात रिलीव किए गए एसडीएम अतेंद्र सिंह गुर्जर के तानाशाहीपूर्ण अभद्र और कथित भ्रष्टाचारपूर्ण रवैये के कारण जिला प्रशासन की छवि खासी धूमिल हुई। उन पर मिर्ची सेठ से नजदीकी के आरोप भी लगे। जिसके चलते शहर के कई नागरिकों को निशाना बनाया गया। पूर्व विधायक सुरेश राठखेड़ा के पीए ओपी शर्मा से अभद्र व्यवहार का मामला भी खूब उछला। नमोनगर कॉलोनी में अग्रवाल समाज के अध्यक्ष गौरव सिंघल के मकान को अवैध बताते हुए ढहा दिया गया और उन्हें लाखों रूपए की क्षति पहुचंाई गई। श्री सिंघल ने पत्रकारवार्ता आयोजित कर आरोप लगाया कि प्रशासन के कतिप्य दलाल मिर्ची सेठ ने उनसे पांच लाख रूपए की मांग की थी। जिसे न देने पर उनके मकान को जमींदोज कर दिया गया। जबकि उनके पास नामांतरण और रजिस्ट्री से लेकर सभी दस्तावेज थे। इस मामले को लेकर अग्रवाल समाज ने रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। लेकिन इस पर भी उनके खिलाफ प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। उन पर यह भी आरोप है कि लॉकडाउन के समय एक व्यापारी के गोदाम का ताला बिना उन्हें बुलाए और सूचित करे एसडीएम ने तुड़वा दिया था और जब इस संबंध में व्यापारी ने जब उनसे शिकायत की तो उन्होंने कहा कि तुझसे क्या पूछे क्या तू कलेक्टर है। इस तरह से लगातार अपने अभद्र व्यवहार से एसडीएम गुर्जर ने जिला प्रशासन की छवि को तार-तार करने का प्रयास किया। 
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रिलीव करने के बाद भी इज्जत बनाने की प्रशासन ने की कोशिश 
पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद कलेक्टर ने एसडीएम गुर्जर को रिलीव तो कर दिया। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने उनकी इज्जत बनाने की कोशिश की। उनके सम्मान में जनसम्पर्क कार्यालय के माध्यम से एक समाचार भी डाला गया। जिसमें उनकी तारीफ के कसीदे काड़ते हुए लिखा गया है कि शिवपुरी एसडीएम के पद पर रहते हुए उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ किया और लोकसभा चुनाव में कड़ी मेहनत से काम किया। आर्मी भर्ती में भी उनका काम सराहनीय रहा। अतिक्रमण विरोधी अभियान हो या कोरोना वायरस बचाव के लिए किए जा रहे प्रयास। हर कार्य का उन्होंने निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ किया। आमतौर पर अधिकारियों के स्थानांतरण पर इस तरह के चापलूसी भरे प्रेस नोट कभी जारी नहीं किए जाते। स्थानांतरण एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन इसके बाद भी श्री गुर्जर के पक्ष में इस तरह से अतिरंजित उनकी प्रशंसा के प्रेस नोट जारी होना इस बात का धोतक है कि उन्हें मजबूरीवश ही जिला प्रशासन ने रिलीव किया है।

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