जान लीजिये एमपी की ये अनोखी दुनिया, 12 गांवों की इस घाटी को देख रह जाएंगे दंग
प्राकृतिक संसाधनों के साथ इनका रिश्ता सहअस्तित्व का है और अपनी संस्कृति, परम्परा, जिंदगी जीने व आपसी व्यवहार के तरीके को भी इन्होनें अभी भी काफी हद तक पुरातन बनाया हुआ है बिलकुल सहज सरल और निश्छल। अगर उनके रहन–सहन, खान-पान, दवा-दारू की बात करें, तो इस मामले में भी वे अभी भी काफी हद तक जंगल और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं लेकिन इधर बाहरी दुनिया से संपर्क और सदियों से उनके द्वारा संजो कर रखे गए प्रकृति से छेड़-छाड़ की वजह से अब वे संकट में दिखाई दे रहे हैं। दूसरी तरफ आधुनिक विकास भी उन तक नहीं पहुंची है और इससे होने वाले फायदे के दायरे से उन्हें बेदखल रखा गया है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments
Post a comment