हम बताने जा रहे है आपको राजस्थान के बूंदी जिले के चार गांवो की एक अजीब दास्ताँ ,आज के दौर में किसी को विश्वास नहीं होगा ,लेकिन हकीकत है इन गांवों में एक भी घर की छत पक्की नहीं है, फिर चाहे वो घर कलेक्टर का हो या जज साहब का.
हम बात कर रहे हैं बूंदी जिले के साथेली, बथवाड़ा, अंथड़ा और लीलेड़ा व्यवसान गांवों की. ये वे चार गांव हैं जिन्हें यहां के लोग आज भी अभिशापित (देव दोष) मानते हैं. यहां घरों की चार दीवारी तो पक्की बनाई जाती हैं लेकिन छत पर पटि्टयां नहीं डाली जाती. ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि यदि किसी ने भूलवश अथवा नजरअंदाज करते हुए पटि्टयां डाल भी दी तो उसके परिवार के साथ कोई न कोई अनहोनी होनी तय है.
लीलेड़ा गांव की कृष्णा बूंदी बताती हैं कि रक्तया भैरुजी के प्रति उनकी गहरी आस्था है. वे भैरुजी के चमत्कारों से वाकिफ हैं और कोई भी ग्रामीणों इन मान्यताओं को तोड़ना नहीं चाहता.
पांवों में घुंघरू या पायजेब भी नहीं पहन सकती महिलाएं
इन चार गांवों में घरों पर पक्की छत ही नहीं महिलाओं के पांवों में पायल(पायजेब) या घुंघरु को भी अभिशाप माना जाता है. लीलेड़ा गांव की कांता बाई श्रृंगी बताती हैं कि गांव में महिलाओं के घुंघरु या पायजेब पहना मना है.
बड़े सरकारी अफसरों के घर भी बिना छत के
सरपंच प्रेमशंकर कहते हैं कि उक्त गांवों में दो आईएएस, दो आयकर अधिकारी, एक जज सहित दर्जनों शिक्षक भी हैं. बावजूद इन गांव में उनके घरों के भी पक्की छत नहीं हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर ने अब शहर की ओर पलायन कर लिया है.
सरकारी स्कूल सरपंच प्रेमशंकर राठौर कहते हैं कि उक्त गांवों में मकानों के छत नहीं डालने का कारण ये नहीं की गांव के सभी लोग गरीब हैं. बल्कि क्षेत्र में भैरुजी द्वारा की गई मनाई के चलते कोई भी ऐसा नहीं करना चाहता. कुछ समय पहले सरकारी स्कूल के कमरों पर पटि्टयां डाली गई थी लेकिन वह भी गिर गईं... गनिमत रही बच्चे उस समय वहां नहीं थे. वे बताते हैं कि कुछ धनाड्य परिवारों ने पक्की छत डालने का प्रयास किया था लेकिन निर्माण के दौरान ही उनके परिवार के साथ अनहोनी हो जाने से वे ऐसा नहीं कर सके.की पक्की छत गिरी...
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