दुर्दशा" पर "उत्सव", "मौत पर महोत्सव.....?

( आवाम के जले पर नमक छिड़कते हे,हँसते है, खिलखिलाते हे और तालिया बजाते हैं वो सब.......)
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
स्मरण हुआ आज, कि हम उस नगरी के वाशिंदे हे जहां के 'कर्णधार' हमारी
दुर्दशा-बदहाली पर "उत्सव"
और सामूहिक मौतो पर "महोत्सव" मनाते हैं.....!
रोती-बिलखती आवाम के बीच हँसते-खिलखिलाते-तालिया बजाते हैं.....!
वाह....!
अहोभाग्य हमारे.....!!

याद होगा सभी को कि
बरसो पहले ख़ौफ़ज़दा जनजीवन में आतंक के पर्याय बने कुख्यात दस्यु सरगना रामबाबू गड़रिया ने 'करियारा' गांव में गुर्जर समाज के पांच नोजबानो की गोलियों से छलनी करके नृशंस हत्या कर दी थी......!
प्रदेश हिल गया था...
सरकार हिल गयी थी....,
 किन्तु हमारे सुख-सुख में पालनहार-कर्णधारो ने उनकी चिता की राख ठंडी होने से पहले ही इसी पोलोग्राउंड में खजुराहो की तर्ज पर "शिवपुरी महोत्सव" का आयोजन कर डाला था.....!!
ठीक इसी तरह तब भी
सुर छिड़े थे,ताल भी थिरकी थी,शहनाई भी बजी थी,और आवाम के दुःख,दर्द,गमगीन माहौल में भी गूंज उठी थी स्वरलहरिया......!
तालिया,खिलखिलाहट.....!!

बरसो बाद आज फिर उसी महोत्सव की याद आ गयी.....!
आज भी हम पीने के पानी से महरूम है,प्यास से बिलख रहे है.......
(बरसो से अधूरी सिंध योजना मृग-मरीचिका बनी है)
चौतरफा खुदी पड़ी सड़को से गिरकर घायल हो रहे हे,मर रहे हैं......
अस्पताल में इलाज़ के अभाव में दम तोड़ रहे हे.....
बेरोजगारी मुह फैलाये हे,दाने-दाने को तरस रहे है......
शरीर में प्रतिदिन भरने बाली धूल से तिल-तिल मर रहे हे.....
(हालांकि अभी तक तो जैसे भी हे,जीवित ही हे...)
चो-तरफा आवाम बिलख रही है, घुट रही है,हा- हाकार कर रही है और कर्णधारो ने उनका मख़ौल उड़ाते हुए फिर रोप डाला "शिवपुरी उत्सव"......!!
पैसे के अभाव में जीर्ण-शीर्ण होकर खंडहर होते जा रहे शहर में सिर्फ तालिया पीटने के लिए एक रात सजाने में लाखों की बर्बादी......?
समझ से परे है भाई....?

नासमझ हूं.....!
नादान हूं.......!
समझ नही पा रहा कि वर्तमान हालातों में शहर ने ऐसा क्या हासिल कर लिया जो "कर्णधार और चरणभाट"
सब मिलकर "उत्सव" मनाने लगे...?
जनता की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को यू नाच-गाने में उड़ाने लगे....?

अरे स्वजनों...
भदैयाकुंड संवारने के प्रयास उचित है...
(फिलवक्त सिर्फ प्रारम्भिक कार्य और शिगूफा ....)
नयी पहल के तहत अर्घ देकर,भजनों के साथ प्राकृतिक खूबसूरती का चित्रण भी शहरी पर्यटकों को लुभाने की दृष्टि से ठीक है.......
अन्य तमाम योजनाओं की तरह पर्यटन विकास की योजनाएं भी उत्तम है.....
किन्तु,
पोलोग्राउंड में नाच-गाने की यह शाम......?
भला क्या लाभ होना है शहर को इन रंगीन शामो से.....?
बदहाल शहर में क्या अब टूट पड़ेंगे पर्यटक..?
बन गयी पर्यटक नगरी...?

आवाम तो नासमझ है !टूटी सड़को के कारण भले वेलकम सेंटर व् टूरिस्ट विलेज के मेलो में न जा पाई हो किन्तु नाच-गाने के कार्यक्रम में भीड़ बनकर तुम्हारी छाती तो छोड़ी कर ही देगी पर वास्तव में उसे क्या हासिल होगा...?
सिर्फ छलावा......?
बाबाजी का ठुल्लू.....?

जय हो.....
अरे सफलता का जश्न मनाना भी था तो कुछ हासिल करने के बाद, किन्तु फिलवक्त काम रुपैये का और जश्न में उड़ा डाले लाखो ....?
वह भी आनन-फानन में,"मार्च" में ही......?
अरे रहम करो यहाँ की सीधी-साधी आवाम पर  जो "मातमपुरसी" में भी आपका आव-आदर करती है....!
रहम हुज़ूर....,
रहम.....!

 हमारी दुर्दशा पर "उत्सव" और मौतो पर "महोत्सव".......?

साहेब...!
खुदा खैर करे.....!
पर....
"निर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय...
बिना जीभ की हाय से लोहा भसम हो जाए...!"
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
-नाचीज़- बृजेश तोमर-
Www.khabar aajkal.com
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
नोट-कलमकार नोकरशाही की चारागाह बने शिवपुरी जिले में दम तोड़ती योजनाओं, बेपरवाह जनप्रतिनिधियों और सिसकती आवाम के बीच महज़ दो दिनों में लाखों रुपये में लगती आग को देखकर तो हतप्रभ हे ही साथ ही बोर्ड परीक्षाओं के दौरान एवं  चिकित्सालय के समीप ही देर रात तक बज रहे तेज आवाज़ के डीजे साउंड की धमक में खुद नीतिनियंताओ द्वारा उड़ाये जा रहे कानून के मख़ौल पर  आश्चर्यचकित भी है....!! खुदा शिवपुरीवासियो पर रहम करे.....!!
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍

Post a Comment

Previous Post Next Post