सावधान! जनसुविधा में विवाद नहीं समाधान चाहिए हमें

-कोर्ट रोड़ और कस्टमगेट रोड़ के एक साथ निर्माण में है सार्थक समाधान
 सत्यम पाठक-शिवपुरी। विघ्नसंतोषी और असमाजिक तत्व अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। जानबूझकर अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए विवाद पैदा किए जा रहे हैं। षडयंत्रपूर्वक उन मुद्दों को हवा दी जा रही है जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। जी हां! प्रचारित मामला यह है कि नगर पालिका की 6 सड़कों में से पहले किस सड़क का निर्माण कार्य कराया जाए? इस निर्थक प्रश्न के साथ सत्ता के दो धु्रवों की प्रतिष्ठा प्रचारित तौर पर दांव पर लगा दी गई है। जबकि व्यवहारिक और दस्तावेजी सच यह है कि नगर पालिका को 6 सड़कों का कार्य एक साथ शुरू कराना चाहिए। तर्क और नियम बोलते हैं कि नगरपालिका ने विभिन्न 6 सड़कों का ठेका पृथक-पृथक न देकर एक ही टेंडर में दिया है तो उसे सड़कों का निर्माण भी एक साथ शुरू करना-कराना चाहिए। जो नहीं किया जा रहा है। एक साथ कार्य प्रारंभ न कराने के पीछे जो तर्क नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी सुन रहे हैं! दे रहे हैं उनका नियमों से कोई लेना देना नहीं है और न ही जनता के साथ-साथ  जनप्रतिनिधियों (विधायक, मंत्री-नपाध्यक्ष-उपाध्यक्ष-पार्षदों)का भी उनसे कोई लेना देना है। नगर पालिका की नौकरशाही की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जनहित में 6 सड़कों का जहां तक संभव हो सके सभी विभिन्न सड़कें एक साथ बनवाए! अगर सभी 6 सड़कें नगर पालिका बनबाने में सक्षम नहीं है तो वह इतना तो कर ही सकती है कि कोर्ट रोड़ और कस्टमगेट सड़क (6 में से सिर्फ 2) का निर्माण कार्य एक साथ शुरू कराकर जनता को बड़ी राहत दे सकती है। साथ ही प्रचारित तौर पर जो विवाद जनप्रतिनिधियों को सामने रखकर खड़ा किया जा रहा है उससे उन्हें भी मुक्त  कराया जा सकता है और सच्चाई यह भी है कि सभी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि सिर्फ और सिर्फ जनसुविधा चाहते हैं। सभी का लक्ष्य विकास है तो विवाद कैसा? जो तत्व जानबूझकर विवाद खड़ा कर रहे हैं जरूरत हैं उनसे समझदारी से निपटने की। जिसके लिए सार्थक उपाय यह है कि नगर पालिका की नौकरशाही तत्काल कोर्ट रोड़ और कस्टमगेट रोड़ का कार्य प्राथमिकता से एक साथ शुरू करायें। अन्यथा यह माना जाएगा कि नगर पालिका की नौकरशाही अक्षम है और उसकी अक्षमता का शिकार जनता के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी बन रहे हैं।
पार्टों में बन सकती है विभिन्न सड़कें
जो विवाद चाहते हैं वह विवाद करके न खुद का भला कर सकते हैं और न ही किसी और का। विवाद फैलाने वालों के साथ-साथ विघ्न संतोषियों को भी श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया ने अभी कुछ समय पहले ही अच्छी सलाह देते हुए कहा था कि विवाद के लिए मेरी तरफ न देखें मैं सिर्फ समाधान के लिए हूं! जनसुविधा के लिए हूं! विकास के लिए हूं। नेक नसीहत के बाबजूद कतिपय तत्व विवाद से बाज नहीं आ रहे हैं। इन्हें ध्यान रखना चाहिए कि जब-जब जिस-जिस विषय पर वह विवाद फैलायेंगे तब-तब उचित समाधान जिम्मेदार लोग तत्काल करेंगे। मौजूदा प्रचारित विवाद (पहले कोर्ट रोड़ या कस्टमगेट रोड़)में इन लोगों के लिए निम्न सलाह शूल की तरह साबित होगी कि नगर पालिका दोनों मुख्य मार्गो पर पार्टली (हिस्सों में) कार्य करा सकती है। प्राथमिकता से रोटरी चौक से लेकर विजय स्तम्भ चौक (अस्पताल चौराहा)तक सड़क निर्माण कार्य किया जा सकता है। इस सड़क की स्थिति सच में अत्यंत दयनीय है। कस्टमेट सड़क पर मदन बाबा के घर से स्व. सांवलदास जी की दुकान तक या विजय हलवाई की दुकान से सीताराम मंदिर तक या टेकरी से नत्थू हलवाई जी की दुकान तक जो अच्छा लगे पार्टली निर्माण कार्य कराया जा सकता है। इस उपाय में विवाद के लिए कोई जगह नहीं है तो तत्काल नगर पालिका को जनहित और जनप्रतिनिधियों की साख के लिए दोनों मुख्य मार्गो पर पार्टली या पूरी सड़कों का निर्माण कार्य एक साथ कराना ही कराना चाहिए।

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