शिशु एवं बाल मृत्यु रोकने के लिये रणनीति बनायें- डॉ.पवन जैन

 



शिवपुरी| ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात शिशुओं की घर पर देखभाल के लिये स्वास्थ्य सुविधाएं सुदृढ़ कराने के लिए यूनिसेफ के सहयोग से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पोहरी व खनियाधाना से उपस्थित आशा सहयोगी, एएनएम, सीएचओ के प्रशिक्षण का आयोजन टूरिस्ट विलेज में किया गया।

प्रशिक्षण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पवन जैन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि गर्भवती माता का प्रथम त्रैमास में ही पंजीयन होना चाहिए ताकि उन्हें समस्त स्वास्थ्य सेवायें समय पर ही प्रदाय की जा सकें। हाई रिस्क गर्भवती माताओं को चिन्हित कर उनके घर जाकर देखभाल करना है। मातृ एवं शिशु मृत्यु रोकने के लिए समन्वित रणनीति के तहत कार्य करना है। 

हितग्राही से हर संभव रूप से उनकी बोलचाल की भाषा में ही बातचीत करें। सभी माताओं को जानकारी होना चाहिये कि उन्हें कौन-कौन सी सेवाएं मिलना है। अनमोल पोर्टल पर हितग्राही के संबंध  में सभी डाटा ऑनलाइन प्रविष्टि करें ताकि वह जानकारी हमें जिले पर दिख सकें। वर्ष भर आप अच्छा कार्य करें ताकि आपके अच्छे कार्याे के लिये विशेष अवसरों पर आपको पुरस्कार प्रदाय किया जा सकें। 




जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.संजय ऋषीश्वर द्वारा अपने संबोधन में कहा कि आशा सहयोगी अपने क्षेत्र की डॉक्टर है। समय पर माता व शिशु के गंभीर लक्षणों की पहचान करना चाहिये। ताकि आप समय रहते उनकी जान बचा सकें। नवजात शिशु का पहला दिन, पहला सप्ताह, पहला महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको जो सिखाया जाता है उसे फील्ड में जाकर प्रेक्टिकल करें तभी आप प्रभावी क्रियान्वयन कर पायेंगे। हितग्राही के पास बैठकर उससे बातचीत करें, परिवार के सदस्यों से बातचीत करें और हर संभव सुविधायें देने की कोशिश करें।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एन.एस.चौहान द्वारा प्रशिक्षण में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के आंकड़े अच्छे करना है। आशा, एएनएम के पास पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता है, वाहन सेवा निशुल्क है व तुरंत उपलब्ध है इन सेवाओं की जानकारी सभी गर्भवती माताओं व उनके परिवार को होना चाहिये। सुरक्षित अवधि में ही हमें माता व शिशु को उच्च संस्था से उपचार दिलाना है। परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने के लिये माता को परामर्श भी देना है। 

स्वास्थ्य टीम जब भी कार्यक्षेत्र में जाये तो अपने साथ आवश्यक दवायें, उपकरण भी लेकर जाए। प्रशिक्षण में डॉ.यादवेन्द्र भदौरिया द्वारा नवजात शिशु की देखभाल के बारे में विस्तार से सभी को समझाया। श्री मनीष श्रीवास डीसीएम श्योपुर द्वारा हितग्राहियों को दी जाने वाली सेवाओं के संबंध में सभी से चर्चा की। उन्होंने प्रसव के समय देखभाल और नवजात शिशु की देखभाल के संबंध में सभी के ज्ञान की जानकारी ली।

डीसीएम शिवपुरी शेर सिंह रावत द्वारा कार्य करने के संबंध में प्रभावी तकनीकी उपायों के संबंध  में सभी से चर्चा की। संजय जैन द्वारा बताया गया कि सभी घरों में जानकारी होना चाहिये कि माता अथवा शिशु के बीमार होने पर तत्काल इसकी जानकारी आशा कार्यकर्ता को दी जाना है और आशा कार्यकर्ता के माध्यम से तत्काल आशा सहयोगी व एएनएम तक यह जानकारी पहुंच जाना चाहिये। आशा कार्यकर्ता सीधे तौर पर नवजात शिशु के जीवन रक्षा के लिये उत्तरदायी है। समय पर उपचार मिलने से नवजात का जीवन सुरक्षित हो जाता है।

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