चन्द मिनटों में कई गरीबों का दिल जीत गए, हर जगह नरोत्तम मिश्रा की आत्मीयता के चर्चे



शिवपुरी। वो तूफान की तरह मात्र एक घण्टे को आया और कई गरीब दिलों पर राज करके वापस चला गया । किसी गरीब आदिवासी ने उसे अपने हाथों से जंगल के बेर खिलाकर सुखानुभूति  प्राप्त की तो कहीं फुटपाथ पर गरीबी की मार झेल कर दुकान लगा रहीं माताओं को गले लगाकर उनके सुख दुख बांटे। 

मैली कुचली साड़ी में सर्किट हाउस अपनी समस्या का आवेदन लेकर पहुंची महिला कार्यकर्ता को ठीक अपने बगल में बैठाकर उससे परिवार के सदस्य की भांति बात की तो उसके आंसू फूट पड़े । कौन है  जो चन्द मिनटों में गरीबों में अपनी अलग छाप छोड़कर अपने घर की ओर रवाना हो  गया ।

जी हां हम वो और कोई नहीं वो है  मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा  जिन्हें सभी प्रेमीजन दादा कहकर संबोधित करते हैं । दादा कल अपने संघर्ष काल के साथी के भाई के निधन पर  शोक सम्वेदनाएँ व्यक्त करने सांय 5:30 पर शिवपुरी जिले की सीमा में प्रविष्ट हुए ,जहां सबसे पहले सहरिया क्रांति से जुड़े आदिवासियों ने उनकी नज़र उतारकर उन्हें अपने हाथों से बेर खिलाये , सभी रोक दोष से मुक्त रहें तो उनके लिए जड़ी बूटियों की माला गले मे पहनाई , आदिवासी जो पुष्पहार उन्हें पहनाने लाये उन्होने उल्टे उन गरीबों के गले मे ही वे हार पहनाकर उनका अभिनंदन किया।

 डॉ मिश्रा से मिले आत्मीय दुलार ने सहरिया आदिवासियों का दिल बाग-बाग कर दिया । शिवपुरी आगमन पर उन्होंने किसी से पुष्पहार नहीं पहने बल्कि जो भी पुष्पहार लेकर आया उसे उन्होंने खुद वही हार पहनाकर उनका सम्मान किया। 

पूरे रास्ते डॉ मिश्रा अपने संघर्ष काल के सहयोगियों को याद करते रहे और आश्चर्य की जिन्हें उन्होंने याद किया वे सब एक एक कर के अलग अलग मार्ग पर उनसे मिलने आ पहुंचे , सभी को ह्रदय से लगाकर नरोत्तम मिश्रा ने उनसे पुराना नाता और प्रगाढ़ किया , इसके बाद वे किसी धन्नासेठ के पकवान खाते  नहीं बल्कि अपने संघर्ष काल के साथी बिष्णु मंगल के भाई के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त कर , उनकी गुमठीनुमा दुकान पर शान से सड़क पर चाय के सुट्टा लगाते नज़र आये ।

पूरा बाजार भीड़ से पट गया क्योंकि मध्यप्रदेश का सबसे ताकतवर मंत्री सड़क पर अपने पुराने गरीब भाई की दुकान पर चाय पी रहा था । इसके बाद  डॉ मिश्रा ने पुराने दिनों को याद किया व बोले कि यहां कई बर्ष पहले फुटपाथ पर दुकाने लगाने वाली मेरी गरीब बहने कहाँ हैं , आश्चर्य तब हुआ जब 40 साल बाद भी वे महिलाएं उसी गांधी चौक पर उसी स्थिति में अपनी दुकान फुटपाथ पर ही लगा रही थी, झट से नरोत्तम मिश्रा उनके बीच पहुंचे और सीने से लगा लिया अपने हाथ मे चाय का प्याला लेकर उन्हें चाय पिलाई व उन्हें चाय पिलवाकर उनके सुख दुख बांटे , गरीब महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि जो पुलिसिये उन्हें अक्सर वहां से खदेड़ते रहते थे उनके साहव भी आज हाथ बांधे खड़े थे ।

इसके बाद डॉ मिश्रा सर्किट हाउस पहुंचे वहां भी उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर कार्यकर्ता को अपने बगल में बैठाकर उसकी बात गम्भीरता से सुनी और त्वरित निराकरण किया । इस दौरान भाजपा के कई पदाधिकारी बेहद खुश हुए और बोले ये है भाजपा में कार्यकर्ता की इज्जत , काश सभी नेता इस आचरण को अपना पाते। ये  उच्चारण भाजपा पदाधिकारी जिस समय कर रहे थे तब राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा शांत भाव से सब देख सुन रहे थे । 

अपने एक घण्टे के अल्प प्रवास पर गृहमंत्री हर गरीब व भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता का दिल जीतकर प्रस्थान कर गए  ग्वालियर के डबरा स्थित अपने निवास की ओर । पूरे शहर में नरोत्तम मिश्रा की दरियादिली के चर्चे हैं।

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