GST :नये साल में मिलेगी राहत , पेट्रोल डीजल के साथ होंगे 5 बड़े बदलाव



देश की टैक्स नीति के लिए साल 2017 काफी अहम रहा. इस साल न सिर्फ नई टैक्स नीति गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू किया गया, बल्क‍ि इसमें कई बदलाव भी किए गए. मोदी सरकार ने जीएसटी के तहत आम आदमी को राहत देने के लिए कई  उत्पादों का रेट घटाया. कारोबारियों के लिए भी रिफंड क्लेम करने का काम आसान कर दिया गया है.

नये साल में जीएसटी आम आदमी के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को राहत देने का काम करेगी. अगले साल जहां जीएसटी परिषद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना तय माना जा रहा है. वहीं, अर्थव्यवस्था के नये साल में जीएसटी के साइड इफेक्ट से उभरने की उम्मीद भी जताई जा रही है. आगे जानिए नये साल में जीएसटी आपके लिए क्या तोहफे ला सकती है.

सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल

नये साल में जीएसटी आम आदमी को सस्ते पेट्रोल और डीजल का तोहफा दे सकती है. गुरुवार को बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने भी इस ओर संकेत‍ किया. इस साल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नितिन गडकरी ने आवाज उठाई थी. इन नेताओं ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर लगाम कसने के लिए जीएसटी ही एकमात्र रास्ता है. सुशील मोदी का कहना है कि अगले साल बिजली भी जीएसटी के दायरे में आ सकती है.  

सभी राज्य राजी, बस सही वक्त का है इंतजार

अक्टूबर महीने में महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगटीवार ने कहा था कि सभी राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की अनुमति दे दी है. उनके मुताबिक अब इन उत्पादों को इसके तहत लाने के लिए हमें सही वक्त का इंतजार करना होगा. उम्मीद जताई जा रही थी कि जीएसटी परिषद की 23वीं बैठक में इसको लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है, लेक‍िन ऐसा हुआ नहीं.

45 रुपये प्रति लीटर  हो जाएगा पेट्रोल

अब उम्मीद जताई जा रही है कि नये साल में जीएसटी परिषद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल कर ही लेगी. अगर ऐसा होता है, तो आपको एक लीटर पेट्रोल करीब 45 रुपये में मिल सकेगा. डीजल की कीमत भी इसके आसपास रहने की संभावना है. दरअसल जीएसटी के तहत आने से कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर कम किया जा सकेगा.

सस्ता होगा घर खरीदना

वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. सुशील मोदी ने भी इस बात को दोहराया है. जेटली के मुताबिक इससे न सिर्फ आम आदमी को सस्ता घर खरीदने में मदद मिलेगी, बल्क‍ि यह कर चोरी पर भी लगाम कसने में मददगार साबित होगा.

कर चोरी पर लगेगी लगाम

जेटली के मुताबिक सबसे ज्यादा कर चोरी रियल इस्टेट क्षेत्र में ही होती है. अगर इसे जीएसटी के दायरे में ला दिया जाता है, तो कर चोरी पर काफी हद तक लगाम कसी जा सकती है. इस पर भी जीएसटी परिषद की 23वीं बैठक में फैसला लिये जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेक‍िन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद नये साल में रियल इस्टेट को जीएसटी के तहत लाना तय है.

टैक्स स्लैब होंगे कम

आने वाले नये साल में जीएसटी के तहत टैक्स स्लैब को घटाकर सिर्फ दो पर ही सीमित किया जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में मौजूदा 5 टैक्स स्लैब को 2 में ही सीमि‍त किया जा सकता है. उन्होंने संकेत दिए कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म किया जा सकता है. इसकी जगह सिर्फ 12 और 18 फीसदी टैक्स स्लैब रखे जा सकते है.

वहीं, सुशील मोदी ने कहा है कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब की जगह 25 फीसदी अध‍िकतम स्लैब रहेगा.  अगर ऐसा होता है, तो आपके लिए 28 फीसदी में शामिल कई उत्पाद सस्ते हो सकते हैं. जीएसटी परिषद अगली बैठक में कई उत्पादों का जीएसटी रेट भी कम कर सकती है. इससे अन्य कई उत्पादों पर भी आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद है.

कारोबारियों के लिए होगी राह आसान

जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में कारोबारियों को कई दिक्कतें पेश आ रही हैं. अभी भी छोटे कारोबारियों के मन में जीएसटी को लेकर कई उलझने हैं. उन्हें जीएसटी रिटर्न भरने में दिक्कतें पेश आ रही हैं. इन्हीं सभी दिक्कतों का समाधान ढूंढ़ने के लिए सरकार लगातार नई-नई चीजें ला रही है. हाल ही में सरकार ने जीएसटीएन नेटवर्क पर ऑफलाइन टूल जारी किया है.

ऑनलाइन होंगे सभी काम

इस ऑफलाइन टूल की मदद से कारोबारी अपने पूरे कारोबार और उस पर  लगने वाले जीएसटी का हिसाब-किताब आसानी से रख सकेंगे. इसके अलावा सरकार लगातार जीएसटी रिटर्न और रिफंड भरने में यूज किए जाने वाले फॉर्म्स भी कम करेगी. जीएसटी रिफंड समेत अन्य प्रक्र‍ियाओं को भी ऑनलाइन किए जाने की योजना है. अगले साल इस मोर्चे पर सरकार तेजी से काम कर सकती है.

सुधरेगी अर्थव्यवस्था

मॉर्गन स्टेनली, आईएमएफ और विश्व बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं लगातार कहती आ रही हैं कि नया साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर साबित होगा. मॉर्गन स्टेनली की मानें तो अगले साल जीडीपी की वृद्ध‍ि दर 7.5 फीसदी तक पहुंच सकती है. इसी तरह विश्व बैंक और आईएमएफ समेत अन्य संस्थाओं ने भी अगला साल नोटबंदी और जीएसटी के असर को खत्म करने वाला बताया है.

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