सीएम के आश्वासन के बाबजूद , टॉपर काे नहीं मिली आर्थिक मदद


मध्य प्रदेश के हरदा जिले में बालिकाओं के शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है. दूसरी तरफ साल 2015 में नीमगांव की ज्योति विश्नोई ने 12वीं में 500 में से 488 अंक लाकर 97.6 प्रतिशत के साथ पूरे प्रदेश में टॉप किया था.आर्थिक परेशानियों के चलते ज्योति की आगे की पढ़ाई कर्ज से चल रही है.


ज्योति की आगे की पढ़ाई के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तत्कालीन कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव से बात करके एक साल की फीस भरने की मौखिक स्वीकृति दी थी. इसके बाद पत्राचार भी हुआ पर फीस की राशि नहीं अभी तक नहीं मिली है.

ज्योति ने साल 2015 में बिरला इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नालॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी में कंप्यूटर साइंस में प्रवेश लिया.साल 2017 में अब वो थर्ड ईयर में पहुंच गई है. लेकिन अभी तक उसे  सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है. पिता उमाशंकर विश्नोई की आर्थिक स्थिति कमजोर है. इतना ही नहीं वे कर्ज लेकर अपनी बेटी को मुश्किल से पढ़ा रहे हैं.  

ज्योति ने साल 2015 में बिरला इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नालॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी में कंप्यूटर साइंस में प्रवेश लिया.साल 2017 में अब वो थर्ड ईयर में पहुंच गई है. लेकिन अभी तक उसे  सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है. पिता उमाशंकर विश्नोई की आर्थिक स्थिति कमजोर है. इतना ही नहीं वे कर्ज लेकर अपनी बेटी को मुश्किल से पढ़ा रहे हैं.

ज्योति का कहना है कि कलेक्टर ने 3 जुलाई 2015 को पत्र लिखा था. 25 जनवरी 2016 को मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्य अधिकारी प्रकाशचंद्र शाक्य ने किसी तरह की आर्थिक सहायता नहीं देने का हवाला दिया.जिसके बाद उसके पिता कर्ज लेकर उसे पढ़ा रहे हैं. ज्योति के परिवार में वृद्ध पिता समेत 6 लोग हैं.


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http://hindi.news18.com


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